ad

देखिए क्या है 2022 के विश्व जनसंख्या के स्थिति की रिपोर्ट : UNFPA


अभी हाल ही में विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष यूएनएफपीए ने जारी किया है। बीते वर्ष इस रिपोर्ट का शीर्षक "माय बॉडी इज माय ओन" रखा गया था। किंतु इस वर्ष 2022 से इस रिपोर्ट का शीर्षक SEEING THE UNSEEN : The case for action in neglected crisis of unintended pregnancy रखा गया है। वैश्विक स्तर पर संवेदनशील वर्गो (यथा महिलाएं, बच्चे, दिव्यांग आदि) के प्रति व्याप्त चुनौतियों के संदर्भ में है।

क्या है संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष?
यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक अंग है। जो इसके ज्ञान तथा प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी के रूप में काम करता है। यूएनएफपीए का जनादेश संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना 1967 में आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का नाम दिया गया। लेकिन इसका संक्षिप्त नाम यूएनएफपीए है। 

यूएनएफपीए का उद्देश्य एवं लक्ष्य - 
यूएनएफपीए संयुक्त राष्ट्र के बजट द्वारा समर्थित नहीं है। इसके बजाय यह पूरी तरह से दाता सरकारों, अंतर - सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और आम लोगों के शैक्षिक योगदान द्वारा समर्थित है। 

भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है। जिसमें सबसे पहले 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाया था। साल 1976 में देश की पहली जनसंख्या नीति की घोषणा की गई। बाद में 1981 में जनसंख्या नीति में कुछ संशोधन किए गए। इसके बाद फरवरी 2000 में सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 की घोषणा की। इस जनसंख्या का प्रमुख मकसद प्रजनन तथा शिशु स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बेहतर सेवा तंत्र की स्थापना और गर्भनिरोधक और स्वास्थ्य सुविधाओं के जांच की जरूरत पूरी करना है। इसका दीर्घकालीन लक्ष्य जनसंख्या में 2045 तक स्थायित्व हासिल करना है।

मई 2000 में एक राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का गठन किया गया। आयोग जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन की समीक्षा करने और इससे जुड़े कार्यक्रमों की योजना बनाने का काम करता है। इस आयोग के अंतर्गत जनसंख्या स्थिरता कोष (jsk) की भी स्थापना की गई। बाद में इस कोष को स्वास्थ्य परिवार एवं कल्याण के तहत स्थानांतरित कर दिया गया।

यूएनएफपीए रिपोर्ट के अनुसार - 
 
* वर्ष 2015 से 2019 के बीच हर वर्ष वैश्विक स्तर पर लगभग 121 मिलियन अनपेक्षित गर्भधारण के मामले देखे गए।

* विश्व स्तर पर लगभग 257 मिलियन महिलाएं जो गर्भवस्था से बचना चाहते हैं। बावजूद इसके गर्भनिरोधक के लिए सुरक्षित और आधुनिक तरीकों का उपयोग नहीं कर रही है।

* लगभग एक चौथाई महिलाओं को यौन क्रियाओं के लिए मजबूर किया जाता है। यौन क्रिया के दौरान हिंसा का अनुभव करने वाली महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग 53% कम है।

* सहमति से यौन संबंध से गर्भधारण की तुलना में बलात्कार से संबंधित गर्भधारण समान रूप से या अधिक होने की संभावना है।

* विश्व स्तर पर किए जाने वाले सभी गर्भपात में से 45% असुरक्षित हैं।


* विकासशील देशों में अकेले इलाज की लागत में असुरक्षित गर्भपात पर लगभग $553 का खर्च आता है।

* कोविड-19 से पहले 12 महीनों में गर्भनिरोधक आपूर्ति और सेवाओं में लगभग व्यवधान औसतन 3.6 माह तक चला। जिसकी वजह से महिलाओं द्वारा 1.4 मिलीयन अनपेक्षित गर्भधारण किए गए।

जनगणना 2011 के मुताबिक देश की जनसंख्या 121.07 करोड़ हो चुकी है। दुनिया भर में 50% गर्भ अनचाहे होते हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में साल 1966 से कोहिरा मॉडल लागू है। 

* 25% महिलाएं ऐसी हैं जिनके गर्भधारण पर कोई वश नहीं है और वे पुरुषों के अधीन है।

* युद्ध और संघर्ष के स्थितियों में गर्भधारण में और वृद्धि हो जाती है।

जनसंख्या विस्फोट के कारण 
इन आंकड़ों से यह साफ है कि भारत में जनसंख्या अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, परिवार नियोजन की कमी, बाल विवाह और शिक्षा जैसे कारणों से भारत में जनसंख्या वृद्धि के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके अलावा धार्मिक कारण, रूढ़िवादिता, गरीबी और अवैध प्रवासन के चलते जनसंख्या में वृद्धि हुई है। 

बेरोजगारी, खाद्य समस्या, कुपोषण, प्रति व्यक्ति निम्न आय, गरीबी जैसी दिक्कतें सामने आई है। साथ ही बचत और पूंजी निर्माण में कमी, जनोपयोगी सेवाओं पर अधिक खर्च, अपराध, पलायन और शहरी समस्याओं में वृद्धि जैसी दूसरी समस्याएं भी पैदा हुई है। 

गौरतलब है कि इस बढ़ती आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए साल 1966 से कोहिरा मॉडल लागू किया गया है। जिसके तहत आबादी को घटाने के लिए जनता पर किसी और प्रकार का दबाव नहीं डाला जाता है। बल्कि शिक्षा के जरिए छोटे परिवार बनाने का एहसास जगाया जाता है।

Post a Comment

0 Comments