श्रीलंका में आर्थिक संकट आने पर तमाम आवाम बिखर सी गई हैं। इस भयंकर आर्थिक संकट की वजह से राजनीतिक संकट भी शुरू हो गई है। जिसमें बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं।
जानिए क्या है श्रीलंका की वर्तमान स्थिति?
जैसे कि आप सभी जानते हैं कि आधुनिक युग में जीवन यापन करने के लिए और दैनिक गतिविधियों को चलाने के लिए आर्थिक गतिविधियों की जरूरत पड़ती है। जैसे इंधन, भोजन, दवाई, बिजली आदि। जीवित रहने के लिए जो उपयोगी माने जाने वाली वस्तुएं हैं उनकी कमी इस श्रीलंका देश में देखी जा रही है। इसके साथ ही श्रीलंका में विदेशी मुद्राओं की कमी हुई है, लगभग 2.318 डॉलर कमी हुई।
देखा जाए तो आर्थिक संकट की शुरुआत विदेशी मुद्रा की मानी जा रही है। आप भी बेशक जानते हैं कि किसी भी देश को चलाने के लिए आयात और निर्यात करने की आवश्यकता होती है। और यहां सबसे ज्यादा आयात इंधन का किया जाता है। जैसे कच्चे तेल, पेट्रोल और अब इसे श्रीलंका आयात करने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। क्योंकि आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ती है। जो कि श्रीलंका इसे देने में सक्षम नहीं है। इसी वजह से इंधन और पावर की कमी से बिजली कटौती की समस्या लंबे समय से बनी हुई थी। आवश्यक वस्तुओं की कमी और लगातार बढ़ती महंगाई, अर्थात पूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी जैसी स्थितियां बनेंगी तो देश की जनता का आक्रोश होना स्वाभाविक सी बात है।
ऐसी स्थितियां आने पर जनता आक्रोशित होकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे ही। राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के घरों पर पत्थर फेंके गए। इस आक्रोशित जनता को देखते हुए वहां की सरकार आपातकाल और कर्फ्यू लागू कर दी। ताकि जनता को काबू में किया जा सके। ऐसे संकट पर कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। और वहां की जनता से कहा गया कि सरकार को नई दिशा देने और सकारात्मक फैसला लेने के लिए उनकी मदद करें।
आर्थिक संकट आने के कारण
बताया जा रहा है कि वहां की सरकार का आर्थिक मैनेजमेंट शुरू से ही खराब रहा है। ना कि वर्तमान सरकार बल्कि पहले की सरकार भी कर्ज लेती रही थी। 2019 में एशियन डेवलपमेंट बैंक ने एक पत्र जारी करके कहा था कि चालू खाता घाटा + राजकोषीय घाटा (बजट की कमी) दोनों की ही स्थितियां बन गई हैं। यह दोनों यदि साथ में आए तो आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण बनना निश्चित है। किसी भी देश की राष्ट्रीय आय उसके राष्ट्रीय व्यय से कम हो जाए तो देश संकट में आ ही जाता है। साथ ही श्रीलंका के विदेशी कर्ज भी बढ़ते जा रहे थे।
भारत द्वारा दी जा रही सहायता
* फरवरी में $500 मिलियन की क्रेडिटलाइन उपलब्ध करा दी थी।
* 150,000 टन से अधिक जेट विमानन ईंधन, डीजल और पेट्रोल भारत की तरफ से भेजी गई है।
* भोजन, दवाई और आवश्यक वस्तुओं के $1 बिलीयन लाइन ऑफ क्रेडिट दे गई है।
* $400 मिलियन का करेंसी स्वैप किया गया है।
* श्रीलंका के सेंट्रल बैंक की बकाया भुगतान को टाल दिया गया है।
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