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स्त्री की कोमलता

कहा जाता है स्त्रियां होती हैं, फूल की तरह
लेकिन तुम उस फूल को तोड़कर - मसल देते हो।

स्त्रियां होती हैं, फूल सी कोमल
लेकिन तुम उसे कांटा बनने को मजबूर कर देते हो।

स्त्रियों को मत तौलिए पैसों से,
स्त्रियां अपने परिवार, बच्चों के लिए यूं ही खुद को बिखेर देती हैं।


स्त्रियों को मत तौलिए किसी वस्तु से, 
उसके समर्पण का कोई मोल नहीं

स्त्रियां फूल के पत्तों सी भी होती हैं, नाज़ुक
लेकिन तुम उसे उखाड़ फेंकने की कोशिश भी करते हो।

 स्त्रियां तो होती हैं चंदन की तरह, जहां भी जाती हैं अपनी खुशबू बिखेर देती हैं। 

स्त्रियां नहीं होती हैं तो बस बंद तिजोरी
नहीं होती हैं लाचार
नहीं होती हैं बेचारी 
नहीं होती हैं अबला नारी

इसीलिए स्त्रियों को रखो तो फूलों की तरह सम्मान से,
वरना छोड़ दो उसे ऐसे
वो रहना चाहे जैसे।

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3 Comments

  1. Pooja ,I am following you since you started writing blogs. Your writing's are very meaningful, Keep it up.

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