ad

राष्ट्रीय युवा दिवस के बारे में जानकारी ( स्वामी विवेकानंद )


राष्ट्रीय युवा दिवस

प्रतिवर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस अर्थात् राष्ट्र के युवाओं का दिन। इस दिन भारत के समस्त युवाओं के बीच एक महान विचार और सकारात्मक ऊर्जा को पैदा करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का जश्न खासतौर से भारत जैसे देश में बहुत महत्व रखता है क्योंकि यहां 60% से अधिक आबादी युवाओं की है। 

भारत सरकार ने देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए सन 1985 से 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की। इस दिवस को अंग्रेजी में नेशनल यूथ डे भी कहा जाता है। 

स्वामी विवेकानंद के जीवन शैली की विशेषताएं
स्वामी विवेकानंद देश के एक महानतम समाज सुधारक, विचारक, दार्शनिक और एक आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने भारतीय दर्शन, अध्यात्म, सांस्कृतिक धरोहर एवं उर्जा के प्रति अल्पायु में ही सूचनाओं, ज्ञान एवं प्रज्ञा का अमूल्य खजाना छोड़ गए। श्री रामकृष्ण परमहंस के समर्पित एवं उत्साहित शिष्य विवेकानंद ने भारत में हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अपने प्रसिद्ध 1893 शिकागो भाषण के लिए जाने जाते हैं। इस दिवस को पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों में बड़े उत्साह के साथ देश के युवा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाते हैं। 

राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम 
देश के युवाओं को सकारात्मक विचारों से प्रेरित करने के लिए समस्त स्कूलों व कॉलेजों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जैसे खेल, निबंध, लेखन, सेमिनार, योगासन, सम्मेलन, गायन, व्याख्यान, भाषण, परेड, संगीत आदि आयोजित कराए जाते हैं। युवाओं के आंतरिक आत्मा को प्रोत्साहन, विश्वास, जीवन शैली, कला, शिक्षा में विकास को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद की जीवनी 
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। तब इनकी मां ने इनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता रखा था। विवेकानंद बचपन से ही ईश्वर पर विश्वास रखते थे। वह चाहते थे कि वे ईश्वर को देख सके। जिसके लिए उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो उन्हें दिशा दिखा सके। ईश्वर की खोज में वह दक्षिणेश्वर मंदिर गए। जहां उनकी मुलाकात गुरु श्री रामकृष्ण से हुई। उस मुलाकात के बाद से ही रामकृष्ण ने विवेकानंद को अपना शिष्य मान लिया। उनको लगा कि विवेकानंद और बच्चों से अलग हैं, उनकी आंखों में एक अलग ही चमक है। रामकृष्ण ने विवेकानंद को अपना शिष्य मानकर ज्ञान प्राप्त कराया। राम कृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद पर उनके सारे शिष्यों की जिम्मेदारी सी आ गई थी। जिम्मेदारी को समझते हुए उन्होंने सारे शिष्य को शिक्षा देनी शुरू कर दी। वह अपना सारा दिन पूजा पाठ, पढ़ाई और मेडिटेशन में बिताते थे। वे अपने काम में इतना खो जाते थे कि भोजन करना तक भूल जाते थे। वे चाहते थे कि अपने शिष्य को हर तरह का ज्ञान दे सके। व दूसरे देशों के बारे में भी अपने शिष्य को बताया करते थे। उन सबको कर्म, योग, भक्ति, ज्ञान के बारे में समझाया और सिखाया करते थे। खेतरी के महाराजा अजीत सिंह ने उनके इस काम, ज्ञान, और भक्ति को देख कर उनका नाम विवेकानंद रखा था। इस शब्द का अर्थ विवेक - ज्ञान और आनंद - सुख है। 

विवेकानंद ने अपने विचारों को यूके, यूएसए, शिकागो और कई देशों में समझाया। इसी दौरान उन्होंने वेदांत सोसाइटी ऑफ न्यूयॉर्क की स्थापना की। इसके बाद जब वह 1897 में भारत लौटे तब 1 मई 1897 में बेलूरमठ के पास रामकृष्ण मिशन की शुरुआत की। इनका यही एक उद्देश्य था कि वे लोगों को कर्मयोग के आदर्शों पर जीना सिखाए और उनकी मदद करें। 

स्वामी विवेकानंद के कथन
उन्होंने कहा था कि मेरा नाम बड़ा नहीं होना चाहिए मेरे विचारों को मैं बड़ा बनाना चाहता हूं जिससे लोग इसे समझें और इसे पालन करके एक सुखी जीवन बिताएं।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर देश के युवाओं को विकास की ओर अग्रसर करते हुए, सकारात्मक विचारों के साथ देश में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।

Post a Comment

4 Comments

  1. अतिसुंदर लेखन।

    ReplyDelete
  2. अतिसुंदर लेखन।

    ReplyDelete
  3. अतिसुंदर लेखन।

    ReplyDelete
  4. अतिसुंदर लेखन।

    ReplyDelete

If you have any doubts. Let me know.